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बदलते मौसम के साथ बढ़ रही अस्पतालों में मरीजों की संख्या

बदलते मौसम के साथ फैल रहे इन्फ्लूएंजा फ्लू रोकथाम के लिए तैयार है जिला अस्पताल- सीएमएस ए. पी. भार्गव

महराजगंज: बदलते मौसम के साथ लोगो मे तरह-तरह के संक्रमण जैसे- सर्दी जुखाम, सरदर्द, बदनदर्द, स्किन इंफेक्शन, दस्त, उल्टी जैसे रोग फैलने शुरु हो गए है। जिसे फ़्लू या इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है। यह फ्लू मूलतः नाक, गले और फेफड़ों को संक्रमित करता है, जो श्वसन प्रणाली का हिस्सा हैं।

फ्लू एक वायरस के कारण होता है। इन्फ्लूएंजा को आमतौर पर फ्लू कहा जाता है, लेकिन यह पेट के “फ्लू” वायरस से अलग है जो दस्त और उल्टी का कारण बनता है। इन्फ्लूएंजा फ्लू से पीड़ित अधिकांश लोग अपने आप ठीक हो जाते हैं। लेकिन कभी-कभी, इन्फ्लूएंजा और इसकी जटिलताएँ घातक हो सकती हैं।

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लोगों के कुछ समूहों में फ़्लू जटिलताएँ होने का जोखिम औसत से अधिक है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन में इन्फ्लूएंजा फ्लू तेजी से फैल रहा है। जिसको लेकर भारत मे मध्यप्रदेश के साथ साथ कई अन्य राज्यों में भी इसके फैलने की उम्मीद बताई जा रही है। जिसको लेकर केंद्र सरकार के बाद राज्य सरकारों ने भी सभी जिलों में निगरानी बढ़ाने कहा है।

इस दौरान जनपद महराजगंज के जिला अस्पताल के सीएमएस ए. पी. भार्गव ने बताया कि इन्फ्लूएंजा को लेकर स्वास्थ्य विभाग की मीटिंग की गई है और सबको अलर्ट रहने की भी हिदायत दे दी गयी है। फिलहाल हमारे जनपद में ऐसी किसी भी प्रकार के फ्लू संक्रमित व्यक्ति का मामला नही आया है। और यदि आता है तो उसके बेहतर इलाज के लिए भी जिला अस्पताल पूरी तरह से तैयार है।

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि बदलते मौसम के साथ लोगों में सम्भवतः अगर किसीको होता है तो उसकी पहचान है कि सबसे पहले, नाक बहने, छींकने और गले में खराश के साथ सर्दी जैसा लग सकता है। सर्दी आमतौर पर धीरे-धीरे शुरू होती है। लेकिन फ्लू जल्दी ही आ जाता है और जबकि सर्दी कष्टदायी हो सकती है, फ्लू से आपको आमतौर पर बहुत बुरा महसूस होता है। फ्लू के सामान्य लक्षणों में अक्सर बुखार के साथ-साथ मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना और पसीना आना शामिल होता है।

इन्फ्लूएंजा फ्लू में सिरदर्द, सूखी खांसी, लगातार खांसी, सांस लेने में कठिनाई, थकान और कमजोरी, बहती या भरी हुई नाक, गला खराब होना, आँख का दर्द, उल्टी और दस्त भी फ्लू के लक्षण हैं। लेकिन ये वयस्कों की तुलना में बच्चों में अधिक आम हैं।

जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या बात करता है तो ये वायरस बूंदों के रूप में हवा में फैल जाते हैं या फिर आप किसी वस्तु, जैसे कि कंप्यूटर कीबोर्ड, को छूने और फिर अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूने से रोगाणु लोंगों में प्रवेश कर जाते है अथवा ग्रसित हो जाते है।

वायरस से पीड़ित लोगों में लक्षण प्रकट होने के एक दिन पहले से लेकर लक्षण प्रकट होने के लगभग 5 से 7 दिन बाद तक संक्रामक होने की संभावना होती है। बच्चे और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग थोड़े अधिक समय तक संक्रामक रह सकते हैं।

इन्फ्लूएंजा वायरस लगातार बदल रहे हैं, नए प्रकार अक्सर सामने आते रहते हैं। यदि आपको पहले इन्फ्लूएंजा हुआ है, तो आपके शरीर ने वायरस के उस विशिष्ट प्रकार से लड़ने के लिए पहले से ही एंटीबॉडी बना ली है।

यदि भविष्य में इन्फ्लूएंजा वायरस वैसे ही हैं जैसे पहले आए हैं, तो बीमारी होने से या टीका लगने से, वे एंटीबॉडीज संक्रमण को रोक सकते हैं या इसकी गंभीरता को कम कर सकते हैं। लेकिन समय के साथ एंटीबॉडी का स्तर घट सकता है। और पिछले इन्फ्लूएंजा वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी आपको नए इन्फ्लूएंजा उपभेदों से नहीं बचा सकती हैं। नए स्ट्रेन आपके पहले वाले स्ट्रेन से बहुत भिन्न हो सकते हैं।

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