मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने शनिवार को मंडल, रेंज, जोन, पुलिस कमिश्नरेट और जनपद में तैनात वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों तथा विकास प्रधिकरणों के उपाध्यक्षों के साथ प्रदेश में अतिवृष्टि/अल्पवृष्टि, कानून व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण, यातायात प्रबंधन और औद्योगिक निवेश की संभावनाओं की गहन समीक्षा की। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से हुई इस विशेष बैठक में मुख्यमंत्री जी ने नशे के अवैध कारोबारियों के खिलाफ सघन अभियान चलाने और कठोरता के साथ विधिसम्मत कार्रवाई के निर्देश दिए।
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बैठक में मुख्यमंत्री जी द्वारा दिए गए प्रमुख दिशा-निर्देश
विगत 05-06 माह में टीम वर्क के माध्यम से प्रदेश ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। संवाद के माध्यम से धर्मस्थलों पर लगाए गए लाउडस्पीकरों को उतारे जाने, सड़कों पर धार्मिक क्रियाकलाप न होने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जिस प्रकार हमारी टीम ने काम किया है, वह सर्वथा सराहनीय है। यह व्यवस्था सतत बनाए रखी जाए।
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हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश ने नशे के अवैध कारोबारियों के खिलाफ बड़ा अभियान प्रारंभ किया है। अब हमें इसके निर्णायक चरण के लिए प्रयास करना होगा। पूर्व में हमने जहरीली शराब से असमय मृत्यु की कई दुःखद घटनाएं देखी है, इसकी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए। इसके लिए हर जिलाधिकारी/पुलिस कप्तान, डीएसपी, थानाध्यक्ष को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। हुक्का बार प्रतिबंधित है, इनका संचालन किसी भी दशा में नहीं होना चाहिए। बेहतर टीम वर्क के साथ ड्रग माफियाओं के खिलाफ यह प्रदेशव्यापी अतिमहत्वपूर्ण अभियान आज रात्रि से बड़े आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाया जाए।
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युवाओं को नशे के अंधेरे में ढकेलने वाले ऐसे समाजविरोधी तत्वों की सूक्ष्मता से पड़ताल करें। थाना स्तर पर ऐसे हर छोटे-बड़े अराजक तत्वों की सूची तैयार की जाए। इनके अड्डों पर औचक छापेमारी की जाए। रेलवे स्टेशन के आसपास पेट्रोलिंग बढ़ाएं। जीरो टॉलरेंस के साथ कठोर कार्रवाई करते हुए प्रदेश को ड्रग माफिया से मुक्त कराने की कार्यवाही हो। गड़बड़ी की सूचना मिलने पर थानाध्यक्ष की प्राथमिक जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। इस अभियान में लापरवाही/शिथिलता स्वीकार नहीं की जाएगी।
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ड्रग माफिया पर कार्रवाई के साथ-साथ हमें प्रदेश के उज्ज्वल भविष्य के लिए युवाओं को नशे की लत से दूर रखने के लिए भी प्रयास करना होगा। कुसंगति के कारण वर्तमान में नशे की चपेट में आ चुके युवाओं के चिकित्सकीय उपचार, काउंसिलिंग और पुनर्वास के लिए ठोस कार्ययोजना बनानी होगी। स्थानीय स्तर पर अनेक स्वयंसेवी संस्थाएं इस दिशा में कार्य कर रही हैं, उनका सहयोग लेकर नशा मुक्ति के लिए प्रयास किया जाए।
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नशे के खिलाफ आंदोलन को व्यापक बनाने के लिए हमें अपने बच्चों को इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना होगा। यह उचित होगा कि स्कूलों में बच्चों के बीच नशे के खिलाफ पोस्टर प्रतियोगिता, निबंध, वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाए।
फील्ड में तैनात किसी अधिकारी को यदि जनहित के कार्यों में कोई असुविधा हो रही हो, शासन स्तर से अपेक्षित सहयोग न मिल रहा हो, तो बेहिचक मुख्यमंत्री कार्यालय को सूचित करें। मैं स्वयं 24×7 आपकी समस्याओं को सुनने और समाधान करने के लिए उपलब्ध हूँ, बिना संकोच मुझसे संपर्क करें।
जिलाधिकारी स्वयं इनिशिएटिव लेकर हेल्थ एटीएम की स्थापना के लिए प्रयास करें। किसी एक पीएचसी/सीएचसी पर इसकी स्थापना करायें। नजदीक के किसी अस्पताल से इसे सम्बद्ध करें। प्रशिक्षित पैरामेडिक्स की तैनाती करें। यदि हम ऐसा कर सकें तो गांवो में स्वास्थ्य जांच-परीक्षण के लिए बड़ा सुलभ तंत्र विकसित हो सकेगा। हेल्थ एटीएम के लिए रेडक्रॉस, डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड, अथवा सीएसआर फंड का उपयोग किया जा सकता है। इसके बाद भी यदि धनाभाव है तो मुझसे बताएं मैं वित्तीय प्रबंधन करूँगा।
उत्तर प्रदेश अनंत संभावनाओं वाला प्रदेश है। इसके पोटेंशियल को आगे बढ़ाने के लिए कभी सही प्रयास नहीं हुए। कोरोना काल में प्रदेश की क्षमता और संकल्प को सबने देखा और सराहा है। अगले वर्ष जनवरी माह में ‘उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर समिट’ का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है। इस बार हमारा लक्ष्य ₹10 लाख करोड़ के निवेश का है। यह ग्लोबल इन्वेस्टर समिट वर्ष 2027 तक प्रदेश को 01 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य की पूर्ति में सहायक होगा। औद्योगिक विकास प्रधिकारण, शिक्षा विभाग, पशुपालन, कृषि सहित सभी विभागों को इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सहयोग करना चाहिए।
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ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में उत्तर प्रदेश के प्रयासों की हर ओर सराहना हो रही है। किंतु हमें अब भी बहुत सुधार की आवश्यकता है। यह जरूरी है कि निवेश के माहौल को और बेहतर बनाने के लिए हम अपनी नीतियों को और सरल बनाएं। राजस्व संहिता में जरूरी बदलाव के लिए तत्काल निर्णय लेकर कार्यवाही की जाए।
इन्वेस्ट यूपी और विकास प्राधिकरणों को अपनी कार्यशैली को और बेहतर बनाना होगा। जनहित के आवेदनों को अनावश्यक लंबित न रखा जाए। हर विकास प्राधिकरण अपनी भावी कार्ययोजना तैयार कर ले। लैंडबैंक विस्तार के लिए सभी जरूरी प्रयास किये जाने चाहिए। जल्द ही सभी विकास प्रधिकारणों की समीक्षा की जाएगी। विकास परियोजनाओं के लिए वितीय स्वीकृतियां अनावश्यक लंबित न रखी जाएं। जारी की जाने वाली धनराशि की हर तीन दिन के अंतराल पर शासन स्तर पर समीक्षा की जाए।
प्रदेश के किसी भी जनपद में अवैध टैक्सी स्टैंड, बस स्टैंड/रिक्शा स्टैंड संचालित न हों। ऐसे स्टैंड अवैध वसूली को बढ़ावा देते हैं। जहां कहीं भी ऐसी गतिविधियां संचालित हो रही हों, उन्हें तत्काल बंद कराया जाए।
बॉर्डर एरिया में बेहतर सुविधाओं के लिए ठोस प्रयास किये जायें। पीपीपी मोड पर अस्पताल मॉल, मंडी आदि का विकास किया जाए। सड़कों के सुदृढ़ीकरण की दिशा में और बेहतर काम किये जाने की जरूरत है।
यमुना, चंबल नदियों में जलस्तर बढ़ने से प्रदेश के 18 जनपदों में आम जन के प्रभावित होने की सूचना है। गंगा और बेतवा के जलस्तर में भी बढ़ोतरी हुई है। यद्यपि अब सभी जगह जलस्तर में कमी आ रही है। प्रयागराज, वाराणसी, बलिया इटावा, औरैया, कानपुर देहात, हमीरपुर, मिर्जापुर, बलिया आदि जनपदों की स्थिति पर लगातार नजर रखी जाए। प्रभावित क्षेत्रों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं। वरिष्ठ अधिकारी गण प्रभावित क्षेत्रों में लगातार कैम्प करते रहें।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ/पीएसी तथा आपदा प्रबंधन की टीमें 24×7 एक्टिव मोड में रहें। आपदा प्रबंधन मित्र, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों की आवश्यकतानुसार सहायता ली जानी चाहिए। जिलाधिकारी गण नौकाओं, राहत सामग्री आदि का प्रबंध भी कर लें।
प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में देर न हो। प्रभावित परिवारों को हर जरूरी मदद तत्काल उपलब्ध कराई जाए। जहां जलभराव की स्थिति बने, वहां पशुओं को अन्यत्र सुरक्षित स्थल पर शिफ्ट कराया जाए। इन स्थलों पर पशु चारे की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। एंटी स्नेक वेनम की भी कमी नहीं होनी चाहिए।
मंडलीय भ्रमण के लिए जा रहे मंत्री समूह को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की जानकारी दी जाए। मंत्रीगण इन क्षेत्रों में भी भ्रमण करेंगे।
विगत कुछ समय से गोवंश पर लंपी वायरस का दुष्प्रभाव देखने को मिला है। इस संक्रमण के कारण कई राज्यों में व्यापक पशुधन हानि हुई है। इसके प्रसार को रोकने के लिए हमें मिशन मोड में काम करना होगा। पशुपालकों को संक्रमण के लक्षण और उपचार के बारे में पूरी जानकारी दी जाए। संक्रमण के लक्षण दिखें तो उस गोवंश तो तत्काल आइसोलेट किया जाए। संक्रमित गोवंश अन्य पशुओं के संपर्क में कतई न आने पाए। इसके लिए विशेष सतर्कता की आवश्कता है।
लंपी वायरस से सुरक्षा के लिए तत्काल पशु टीकाकरण का विशेष अभियान चलाया जाए। जिसके लिए 17.50 लाख वैक्सीन उपलब्ध करा दी गई है। यह सुनिश्चित करें कि सभी गोवंश का टीकाकरण समय से हो जाए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विशेष सतर्कता की आवश्कता है। सभी निराश्रित गो-आश्रय स्थलों में 100% गोवंश टीकाकरण कराया जाना सुनिश्चित करें।
लंपी वायरस मक्खी और मच्छर से फैलने वाला वायरस है, ऐसे में ग्राम्य विकास, नगर विकास और पशुपालन विभाग के परस्पर समन्वय से गांव व शहरों में विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जाए। संक्रमित पशु की मृत्यु की दशा में अंतिम क्रिया पूरे मेडिकल प्रोटोकॉल का साथ कराई जाए। किसी भी दशा में संक्रमण का प्रसार न हो, यह सुनिश्चित कराएं।