लखनऊ : उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर यूपी सरकार ने आज एक बड़ा फैसला किया। उत्तर प्रदेश में अब 18 वर्ष से कम उम्र के किशोर बच्चों के दो पहिया व चार पहिया वाहन चलाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। प्रदेश में बढ़ते आकस्मिक दुर्घटनाओं को रोकने के दृष्टिकोण से योगी सरकार का यह फैसला मील का पत्थर साबित हो सकता है ।
इसे भी पढ़ें : राम मंदिर निर्माण अंतिम दौर में, 22 जनवरी का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा भारत व समूचा उत्तर प्रदेश
कानूनविदों की मानें तो यह फैसला और पहले आना चाहिए था , चूंकि प्रदेश में युवाओं की बढ़ती बाईक व स्कूटी लोकप्रियता को देखते हुए एक्सीडेंट की आशंका भी बढ़ती जा रही थी । ऐसे में वह युवा जो बाईक व स्कूटी चलाने में पूरी तरह से दक्ष नहीं हैं, उम्र 18 वर्ष से उनकी कम है उनके ऊपर यह फैसला लागू होगा । समाज का एक बड़ा तबका योगी सरकार के इस फैसले की तारीफ़ कर रहा है और यह भी कह रहा है कि सरकार का यह निर्णय बच्चों के लिए हितकारी सिद्ध होगा।
जुर्माना एवं दण्ड
उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले के खिलाफ यदि कोई अभिभावक अपने नाबालिग बच्चों को दो पहिया या चार पहिया वाहन चलाने के लिए देता है, तो 25 हजार का जुर्माना देने के साथ ही 3 साल का सजा भुगतना होगा।
18 वर्ष के पहले वाहन वाहन चलाये तो
ऐसे में यदि कोई लड़का या लड़की 18 वर्ष पूरा होने के पहले ही वाहन चलाते हुए पकड़े जाते हैं , तो उनका ड्राईविंग लाइसेंस 25 साल के होने के बाद ही बन पायेगा।
ऐसा फैसला क्यों ?
दरअसल अधिकतर मामलों में देखा गया है आजकल हाईस्कूल या इंटरमिडीएट में पढने वाले छात्र स्कूल जाने के लिए बाईक का ही इस्तेमाल करते हैं और उनके लापरवाही से स्कूटी या मोटरसाइकिल चलाने से निर्दोष लोग एक्सीडेंट का शिकार बन जाते हैं। सरकार का मानना है कि यदि नाबालिगों को दो पहिया या चार पहिया वाहन चलाने से रोक दिया जाए तो लापरवाही से होने वाली दुर्घटनाओं पर बहुत हद काबू पाया जा सकता है।