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महराजगंज : सरकार लाख कोशिशें कर रही गाँव को स्वच्छ सुंदर और विकासशील बनाने की तमाम योजनाएं भी शुरू की लेकिन जिले स्तर पर बैठे अधिकारी सरकार की छवि को धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे.

एक समय था जब गांव – गांव से लोग यह कहते हुए देखे जाते हैं थे कि मेरा प्रधान, सचिव टॉयलेट खा गया मतलब “शौचालय में आए रूपये में दलाली खा गया”. लेकिन अब इन दलालों ने दलाली की रूप रेखा बदल दी है, अब सरकारी विकास कार्यों को सिर्फ कागजों में दिखाकर मलाई काट रहे हैं- पढ़े ये एक्सक्लुसिव रिपोर्ट-

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जनपद के घुघुली व परतावल ब्लॉक में बीते दिनों हुए मनरेगा घोटाले की आग अभी ठण्डी नही हुई तभी सदर ब्लॉक में एक बड़ा मनरेगा घोटाला प्रकाश में आया है जहाँ जिले के उच्चाधिकारी करीब 5 माह से जाँच के नाम पर खानापूर्ति कर रहे है.

क्या है पूरा मामला

जानकारी के मुताबिक ग्रामीणों ने अगस्त माह में वित्तीय वर्ष 2019 – 20 में सदर ब्लॉक के तरकुलवा ग्रामसभा में एक तालाब “सौरहा तालाब की खुदाई कार्य” के नाम पर बिना कार्य कराए करीब 38 लाख रुपये का भुगतान होने पर जिले के मुख्य विकास अधिकारी से शिकायत करते हुए जाँच कर कठोर कार्यवाही करने की मांग की थी.

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मजदूरी व मैटेरियल के नाम पर हुआ है फ़र्जी भुगतान

शिकायतकर्ताओं के मुताबिक तरकुलवा ग्रामसभा में “सौरहा तालाब की खुदाई” पर करीब 17,70,860 रुपये मजदूरी भुगतान कराया गया है वही 20 लाख रुपये मैटेरियल का भुगतान कराया गया है.

वन विभाग की आईडी बनाकर कराया गया है मनरेगा के भुगतान

वही इस पूरे मामले में एक चौकानें वाला मामला प्रकाश में आ रहा है. उक्त मनरेगा कार्य मे वन विभाग की आईडी बनाकर सदर ब्लॉक में स्थानांतरित किया गया था. वही वन विभाग की आईडी बनाकर बकायदा मनरेगा द्वारा सदर ब्लॉक स्तर से भुगतान किया गया.

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सीडीओ ने मामले की जांच के लिए त्रिस्तरीय टीम का किया गठन

वही इस मनरेगा घोटाला का प्रकाश में आने पर सीडीओ गौरव सिंह सोगरवाल ने त्रिस्तरीय टीम गठित कर जाँच करने का निर्देश दिया. त्रिस्तरीय टीम परियोजना निदेशक राकेश कुमार पांडेय, जिला पंचायत राज अधिकारी यावर अब्बास तथा लघु सिंचाई की अवर अभियंता गरिमा द्विवेदी को जाँच सौंपते हुए एक सप्ताह में जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत कर का निर्देश दिया गया था.

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5 माह होने के बाद भी अधिकारियों ने नही सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट

वही जब इस पूरे मामले भी Uptv की टीम ने सीडीओ गौरव सिंह सोगरवाल से बात की तो सीडीओ ने साफ़ कहा कि त्रिस्तरीय टीम को जाँच सौंपी गई थी. टीम ने अपनी जाँच पूरी कर ली है लेकिन प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के सर्वे में फंसने के कारण जाँच टीम ने अभी तक हमे रिपोर्ट प्रस्तुत नही की है. जाँच रिपोर्ट देखने पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है.

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