राजकुमार यादव के जेल जाने के बाद उससे ठगे हुए लोग फिर जाग गए हैं, एक-एक कर राजकुमार से पीड़ित लोग अपनी बर्बादी की कहानी बयां कर रहे हैं.
एक तरफ बेरोजगारी की दंश झेल रहा युवा सड़को पर आंदोलन करते नजर आता है तो वहीं दूसरी तरफ योग्य छात्रों की हक़ मारकर पैसे वालों की झोली मे सरकारी नौकरी डालने वाला राजकुमार जैसा शिक्षा माफिया डॉन बनकर घूमता रहा. वह अब जाकर जेल गया वो भी रंगदारी के मामले में असली चेहरा या तो छिपाया जा रहा है या तो छिपा हुआ है.
शिक्षा माफिया की पहली ख़बर में खुले कई राज – Maharajganj_Exclusive: सपा सरकार में पनपे ये शिक्षा माफिया गए जेल, पूरे खानदान से लेकर बूढ़े बाप, घरवाली और बाहरवाली को बना दिया था अध्यापक
महराजगंज के परतावल ब्लाक का रहने वाला राजकुमार यादव शिक्षक से रंगदारी मांगने की आरोप में जेल में बंद है और अब उसके काले कारनामों की पोल खुलनी शुरू हो गई है. शिक्षा विभाग में उसकी जालसाजी से सैकड़ो लोग सरकारी विद्यालयों में अध्यापक बने बैठें हैं जिनकी सूची जल्द ही हम आपको ख़बर में दिखाएंगे. कइयों नौकरी छोड़कर भाग निकले हैं तो कई ऐसे भी मर्द हैं जो फर्जी दस्तावेजों के दमपर अब भी टिके हुए हैं.
शिक्षा माफिया का राइट हैंड आज भी है अध्यापक-
परतावल ब्लाक क्षेत्र में राजकुमार ने एक कोचिंग सेंटर खोला था जहाँ से फर्जी अध्यापक बनाने की पूरी साजिश रची जाती थी. यह कोचिंग सेंटर फिलहाल बंद हो चुका है लेकिन यहाँ पहुंचने पर इस शिक्षा माफिया के एक राइट हैंड की सूचना मिली. जो विदेश में रहकर कमाता था और वह जब भारत आया तो राजकुमार ने उसे सन 2016 में 12460 वाली भर्ती में उर्दू से अध्यापक बना दिया. जब इस व्यक्ति से हमनें इसके नियुक्ति को लेकर छानबीन किया तो इसने बताया कि यह 1998 में विदेश गया और 14 साल बाद 2012 में घर लौटा था उसके बाद 2016 कि भर्ती में अध्यापक बन गया. गुप्त सूत्रों ने बताया कि इसनें स्नातक दो वर्ष का किया है किस राज्य में दो वर्ष का स्नातक डिग्री मिलता है पता नहीं! फिर इसने उर्दू विषय से बीटीसी किया अलीगढ़ के जामिया उर्दू कालेज से, कालेज के सम्बंध में जब कुछ बातचीत किया गया तो संतोषजनक जवाब नहीं मिला. जैसा कि आपको पहले की ख़बर हमनें बताया है कि राजकुमार फर्जी कागजात यानी कि डिग्रियां बनवाने में माफिर खिलाड़ी था इसी जाल ताल से इसनें चुने गए यूनिवर्सिटी से इसकी भी डिग्रियां बनवाई थी. राजकुमार ने इस जनपद के कार्यभार इसे सौप कर अन्य जिलों की मॉनिटरिंग करने लगा.
ठगी का शिकार हुआ एक युवक-
एक बेरोजगार युवक राजकुमार के राइट हैंड का शिकार हुआ जिसने उसके खिलाफ आन कैमरा बोलने पर जान जोखिम की खतरा बताकर पहचान गुप्त रखने की शर्त पर कुछ जानकारी दी. उक्त बेरोजगार युवक ने बताया कि उसने राजकुमार के राइट हैंड को अध्यापक बनने के लिए अपनी डिग्रियों समेत कुल 14 लाख रुपए दिए थे, जिसमें से 4 लाख खाते में भेजा था. काम नहीं होने पर उस माफ़िया शिक्षक ने खाते में लिए रुपए वापस लौटाए लेकिन बाकी के रुपए हड़प लिए गए.
जाँच में होती रही लीपापोती-
इसके तैनात किए गए शिक्षक कई बार बर्खास्त हुए हैं फिर सेटिंगबाज अधिकारियों की मिली भगत और राजनीतिक रसूख के कारण बहाल भी हो जाते हैं. इन कुटरचित डिग्रियों पर नौकरी करने वाले अध्यापकों का कई बार जाँच भी हुआ उसके बावजूद जांचकर्ता इनकी जाल ताल के लपेटे में आकर उसके खिलाफ सामान्य रिपोर्ट लगाते आए हैं.
एक चिन्हित विश्विद्यालय से बनाए गए सैकड़ो फर्जी अध्यापक-
राजकुमार यादव के ज्यादातर अध्यापक एक ही यूनिवर्सिटी के-
इस शिक्षा माफिया के लगाए ज्यादातर अध्यापक एक चिन्हित यूनिवर्सिटी के पढें हुए दर्शाए गए हैं(कागजों में) . यह एक जांच का विषय है कि क्या वह उक्त विश्वविद्यालय धरातल पर भी है या सिर्फ कागजों में दौड़ रहा है, यह लोग यहाँ पढें भी हैं या सिर्फ कागजों में दर्शाए गए हैं.
राजकुमार के सेटिंग का कोई तोड़ नहीं-
यह शिक्षा विभाग का डॉन शिक्षा विभाग को कैसे हैंडल करना है इसे भलीभाँति पता था, एक ही ट्रिक हर जिले में अपनाता था – ये कि अधिकारियों और कर्मचारियों को गिफ्ट करते रहना, मोबाइल फोन, लैपटॉप, बाइक औए दूर दराज के सैर सपाटे जैसे लुभावने देकर मनचाहे काम और फर्जीवाड़े को अंजाम दिया करता था.