“सुकन्या समृद्धि योजना” पर विभिन्न संसद सदस्यों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने सदन को बताया कि-
सुकन्या समृद्धि योजना के शुरू किए जाने से अब तक पूरे देश में लाभान्वित व्यक्तियों की संख्या 3,03,38,305 है।
अन्य राज्यों के अतिरिक्त, तीन राज्यों में इस योजना से लाभान्वित/लाभ उठाने वाले व्यक्तियों की संख्या निम्नवत हैः
“सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में ऋण का अनुपात” संबंधी प्रश्न के उत्तर वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी जी सदन को बताया कि-
पिछले पांच वर्षों के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में ऋण अनुपात का निम्नवत हैः
वित्त वर्ष
(जीडीपी का प्रतिशत)
2017-18
48.5%
2018-19
49.0%
2019-20
52.4%
2020-21
61.6%
2021-22 (अनंतिम)
58.7%
उन्होंने यह भी बताया कि पिछले पांच वर्षों के दौरान सरकार के वार्षिक ब्याज भार और चालू वित्तीय वर्ष के बजट अनुमान (ब.अ.) का विवरण निम्नानुसार है:
वित्त वर्ष
(रुपये लाख करोड़ में)
2017-18
5.29
2018-19
5.83
2019-20
6.12
2020-21
6.80
2021-22(अनंतिम)
8.05
2022-23 (ब.अ.)
9.41
उन्होंने बताया कि भारत सरकार वित्तीय वर्ष के दौरान अपने राजकोषीय कार्यों को पूरा करने के लिए दिनांकित प्रतिभूतियों, राजकोषीय बिलों, नकदी प्रबंधन बिलों, विशेष प्रतिभूतियों, डब्ल्यूएमए/ओडी (यदि आवश्यक हो), और सार्वजनिक खाते से धनराशि आदि जारी करके आवश्यक धन जुटाती है। ब्याज भार में बकाया ऋण/देयताओं पर ब्याज शामिल है जो एक नियत घटक है और किसी विशेष वित्तीय वर्ष में सरकार के वित्तीय कार्यों को करने के लिए आवश्यक नए उधार पर ब्याज, जिसे सही रूप से अनुमानित नहीं किया जा सकता क्योंकि वो नए उधारों की मात्रा/संरचना/समय, प्रचलित ब्याज दर आदि के आधार पर भिन्न हो सकता है। प्रासंगिक ब्याज का नियत घटक स्विच/बायबैक/समयपूर्व प्रतिदान आदि सरकार के निर्णय से प्रभावित हो सकता है। 25 जुलाई, 2022 की स्थिति के अनुसार अगले पांच वित्तीय वर्षों में केंद्र सरकार के बकाया ऋण/देयता के आधार पर प्रासंगिक ब्याज के निश्चित घटक का विवरण निम्नानुसार है:
वित्त वर्ष
(रुपये लाख करोड़ में)
2023-24
8.31
2024-25
7.98
2025-26
7.65
2026-27
7.34
2027-28
6.76
टिप्पणी: उपरोक्त अनुमान में परिवर्तनीय ब्याज घटक शामिल नहीं है जो संबंधित वित्तीय वर्ष के दौरान नए उधारों की मात्रा/संरचना/समय, प्रचलित ब्याज दर आदि पर निर्भर करता है।
मंत्री जी ने सदन को यह भी बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में, मुख्य रूप से कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण, केंद्र सरकार के ऋण/देनदारियों में एक वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद के 9 प्रतिशत अंकों (प्वाइंट्स) से अधिक की वृद्धि हुई। सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5% से नीचे के स्तर तक कम करने की अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा की है। बेहतर अनुपालन के माध्यम से कर राजस्व का आधिक्य बढ़ाना, आस्तियों के मुद्रीकरण के माध्यम से संसाधन जुटाना, दक्षता में सुधार और सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता आदि सरकार द्वारा राजकोषीय घाटे और ऋण को कम करने के लिए शुरू किए गए महत्वपूर्ण उपाय हैं।
माननीय मंत्री जी ने यह भी बताया कि केंद्रीय बजट 2022-23 के साथ संसद के समक्ष रखे गए राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 के तहत प्रदान किए गए राजकोषीय लक्ष्यों से विचलन के कारणों की व्याख्या करते हुए, सरकार ने वक्तव्य दिया है कि भले ही भारत का आर्थिक आधार मजबूत बना हुआ है, परंतु महामारी के कारण हुई अनिश्चितताओं के कम होने तक उभरती आकस्मिकताओं पर प्रभावी रूप से प्रतिक्रिया देने हेतु सरकार के लिए अपेक्षित राजकोषीय लचीलापन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में की गई प्रतिबद्धता के अनुरूप, सरकार वित्त वर्ष 2025-26 तक जीडीपी के 4.5 प्रतिशत से कम राजकोषीय घाटे के स्तर को प्राप्त करने के लिए राजकोषीय समेकन को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
लोक सभा में “तेल बॉण्डों की देनदारी” के संबंध में संसद सदस्यों द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में माननीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी जी ने कहा कि-
सरकार पेट्रोलियम उत्पादों सहित विभिन्न उत्पादों से अप्रत्यक्ष कर अर्जित कर रही है। वर्ष 2020-21 और 2021-22 में पेट्रोलियम उत्पादों (पेट्रोल और डीजल सहित) पर वसूले गए कुल उत्पाद शुल्क का विवरण इस प्रकार है:-
(करोड़ रुपये में)
वर्ष
2021-22
2021-22
वसूले गए कुल उत्पाद शुल्क
3,72,970
3,63,305
31 मई, 2014 को और 31 मार्च 2022 तक तेल विपणन कंपनियों को जारी भारत सरकार की विशेष प्रतिभूतियों की बकाया राशि क्रमश: 1,34,423 करोड़ रुपये और 92.200 करोड़ रु थी।
उन्होने यह भी बताया कि तेल विपणन कंपनियों को जारी भारत सरकार (जीओआई) की विशेष प्रतिभूतियों का वापसी मई, 2014 से मार्च 2022 की अवधि के दौरान निर्धारित रूप से किया गया था जिसकी राशि 13,500 करोड़ थी। इसके अलावा, वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान तेल विपणन कंपनियों को जारी की गई विशेष प्रतिभूतियां 28,723 करेाड़ रुपये स्विच ऑपरेशन के तहत वापस लाए गए।
वापसी को निर्धारित रूप से किया जाएगा। हालांकि, आरबीआई के साथ परामर्श से तथा ऋण प्रबंधन के एक हिस्से के रूप में इन प्रतिभूतियों को परिपक्वता पूर्व बाय बैक/स्विच करने का विकल्प भारत सरकार के पास रहेगा।
माननीय मंत्री जी ने तेल बॉण्डों के निर्धारित वापसी का वर्ष-वार विवरण प्रस्तुत किया जो इस प्रकार है:
वर्ष
राशि (करोड़ रुपये में)
2023-24
15,586
2024-25
39,701
2025-26
36,193
कुल
92,200
उन्होंने सदन में यह भी बताया कि पेट्रोल और डीजल की कीमत क्रमश: 26.06.2010 और 19.10.2014 से बाजार आधारित कर दी गई है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) अपने उत्पाद की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों, विनियम दर, कर संरचना, अंतर्देशीय भाड़ा और अन्य लागत अव्यवों आदि के अनुरूप पेट्रोल और डीजल के मूल्य निर्धारण पर उचित निर्णय लेती है।
लोक सभा में “नई निवेश परियोजनाएं” के संबंध में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में माननीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी जी ने कहा कि-
वित्त वर्ष 2021-22 की अंतिम तिमाही में दर्ज भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 22,037 मिलियन अमरीकी डॉलर है जो वित्त वर्ष 2020-21 की अंतिम तिमाही (13,438 मिलियन अमरीकी डॉलर) में दर्ज प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से अधिक है। पिछले तीन वित्तीय वर्षों और चालू वित्तीय वर्ष यानी 2019-20, 2020-21, 2021-22 और 2022-23 (मई, 2022 तक) के दौरान ‘विनिर्माण’ और ‘निर्माण (अवसंरचना) कार्यकलापों’ नामक क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी अंतर्वाह को दर्शाने वाला एक विवरण पिछले तीन वर्षों के एफडीआई अंतर्वाह निम्नवत हैः
क्र.सं.
वित्तीय वर्ष
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (मिलियन अमरीकी डालर में)
(वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि प्रतिशत)
1
2019-20
74,391
20.0
2
2020-21 (अ.)
81,973
10.2
3
2021-22 (अ.)
83,572
2.0
विनिर्माण क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी अंतर्वाह
क्र.सं.
वित्तीय वर्ष
विनिर्माण क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी अंतर्वाह
(राशि मिलियन अमरीकी डालर में)
(राशि करोड़ रुपये में)
1
2019-20
17,118.63
120,969.93
2
2020-21
12,093.95
89,765.96
3
2021-22
21,341.04
158,332.32
4
2022-23 (अप्रैल-मई)
4,296.16
33,053.62
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी अंतर्वाह क्षेत्र निर्माण (अवसंरचना) कार्यकलाप
क्र.सं.
वित्तीय वर्ष
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी अंतर्वाह
(मिलियन अमरीकी डॉलर में)
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी अंतर्वाह
(करोड़ रुपये में)
1
2019-20
2,041.72
14,509.76
2
2020-21
7,874.54
58,239.92
3
2021-22
3,247.51
24,178.17
4
2022-23 (अप्रैल-मई)
357.83
2,740.52
कुल योग
13,521.60
99,668.36
उन्होंने यह भी बताया कि देश में पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कई प्रगतिशील कदम उठाए हैं और निवेश को आकर्षित करने संबंधी मानदंडों को सरल बनाया है। सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने के लिए एक उदार और पारदर्शी नीति बनाई है, जिसमें अधिकांश क्षेत्र स्वचालित मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खुले हैं। भारत सरकार नियमित आधार पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति की समीक्षा करती है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भारत आकर्षक और निवेशक अनुकूल गंतव्य बना रहे।