शैक्षिक सत्र सुरु होने पर हर वर्ष चर्चा में रहता है केंद्रीय विद्यालय
गोरखपुर मंडल में महराजगंज एक मात्र ऐसा जिला है जहा अभी तक नही खुला है केंद्रीय विद्यालय
टेम्परेरी क्लास संचालित करने के लिए राजकीय बालिका स्कूल के कुछ कमरों का हो चुका है चयन
गोरखपुर : महराजगंज जिले में केंद्रीय विद्यालय खोलने की मांग हर वर्ष उठती रही है लेकिन चुनावी वर्ष में यह मुद्दा तूल पकड़ता दिख रहा है कुछ दिन पहले छात्रों ने डीएम को पत्र देकर मांग उठाई थी लेकिन अब हस्ताक्षर अभियान चलाकर मामले को और गरमा दिया है.
विपक्ष विहीन जिले में छात्रों ने मांग उठाया है कि गोरखपुर मंडल के हर जिले में केंद्रीय विद्यालय है जिसमे गोरखपुर और देवरिया में एक से अधिक केंद्रीय विद्यालय है महराजगंज ही एक ऐसा जिला है जहा कोई केंद्रीय विद्यालय नही है कोई बड़ा विश्वविद्यालय नही है.
भारत नेपाल का सरहदीय जनपद होने के नाते यहा केंद्रीय कर्मचारियों की संख्या ठीक ठाक है ऐसे में केंद्रीय विद्यालय यहा खुलना और जरूरी हो जाता है हर वर्ष नए सत्र पर उधारी के बिल्डिंग में पढ़ाई सुरु होने की उम्मीद जग जाती है लेकिन सत्र बीत जाता है और कुछ नही होता
केंद्रीय विद्यालय के लिए हस्ताक्षर अभियान की छात्रों ने की शुरुआत
पीजी कॉलेज गेट पर बैनर लगाकर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्रनेता संजीव त्रिपाठी के नेतृत्व में महराजगंज जिले में केंद्रीय विद्यालय की कक्षाए टेम्परेरी सुरु करने और निर्माण के लिए संयोजक ने कहा कि पिछले दिनों केंद्र सरकार के बजट में शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है.
देश और प्रदेश में काम कर रही डबल इंजन की सरकार शिक्षा क्षेत्र में हुए गुणवत्ता पूर्ण सुधार की वाहक है. महराजगंज जनपद मुख्यालय पर केंद्रीय विद्यालय की स्थापना से जहां निर्बल गरीब और असहाय लोगों के लिए बेहतर शिक्षा उपलब्ध होगी. वही महराजगंज के विकास की कड़ी में सार्थक प्रयास भी जुड़ेगा. महराजगंज में केंद्रीय विद्यालय की मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाकर एक जनसमर्थन जुटाया गया. इस अवसर पर अक्षत कश्यप, हिमांशु बर्मा, ऋषभ पासवान, अभय पटेल, सक्षम पांडेय, विवेक मिश्र, सुमित श्रीवास्तव मौजूद रहे
केंद्रीय विद्यालय इतना खास क्यो होता है.
देश मे रक्षा तथा अर्धसैनिक बलों के कर्मचारियों सहित केन्द्रीय सरकार के स्थानांतरणीय कर्मचारियों के बच्चों को शिक्षा के एक समान पाठ्यक्रम के तहत शिक्षा प्रदान कर उनकी शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करना विद्यालयी शिक्षा को उत्कृष्टता के शिखर पर पहुँचाना इसका उद्देश्य है केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी.बी.एस.ई.) बोर्ड राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.) जैसे अन्य शैक्षिक निकायों के सहयोग से शिक्षा में प्रयोगात्मकता तथा नवाचारों को प्रारम्भ करना और उन्हें बढ़ाना इसका कर्तव्य होता है.
विद्यार्थियों में राष्ट्रीय एकता और भारतीयता की भावना विकसित करना इसका कार्य है भारत सरकार के स्थानांतरित होने वाले कर्मचारियों तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पलायन होने वाली जनता और इसके अलावा देश के दूरवर्ती और अविकसित स्थानों में रहने वाली जनसंख्या के बच्चों के लिए विद्यालय अर्थात केन्द्रीय विद्यालयों की व्यवस्था करना, स्थापित करना, वित्तीय सहायता देना, नियंत्रण और रख-रखाव करना इत्यादि शामिल हैं.
इसके साथ-साथ ऐसे सभी कार्य और सुविधाएं उपलब्ध करवाना और अन्य सभी कार्य जो ऐसे विद्यालयों को संचालित करने के लिए आवश्यक है.
देश के सभी केंद्रीय विद्यालय में एक जैसी होती है पाठ्य पुस्तकें
देश भर के सभी केन्द्रीय विद्यालयों के लिए एक जैसी पाठ्यपुस्तकें तथा द्विभाषी (हिन्दी तथा अंग्रेजी) शिक्षण का माध्यम है.
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से सभी केन्द्रीय विद्यालय संबद्ध हैं.
सभी केन्द्रीय विद्यालय सह-शिक्षा एवं मिश्रित विद्यालय हैं.
कक्षा VI से VIII तक संस्कृत भाषा पढ़ाई जाती है.
उपयुक्त शिक्षक- विद्यार्थी अनुपात द्वारा शिक्षण की गुणवत्ता को श्रेष्ठ बनाए रखा जाता है कक्षा 8वीं तक के सभी छात्रों, कक्षा 12वीं तक की सभी छात्राओं, अनुसूचित जाति/जनजाति के विद्यार्थियों, केविसं के कर्मचारियों के बच्चों से कोई ट्य़ूशन फीस नहीं ली जाती है.