सपा सरकार में राजनीतिक संरक्षण के दमखम पर शिक्षा माफिया बना. प्रदेश में सैकड़ो फर्जी अध्यापक का जाल फैलाया, सैकड़ो को लूट कर भिखारी बना दिया.

महराजगंज : जनपद के परतावल ब्लाक का रहने वाला राजकुमार यादव और उसके दो अन्य साथी गोरखपुर कैंट थाने में गिरफ्तार किए गए हैं इनपर शिक्षकों से रंगदारी मांगने का आरोप लगा है. इन तीनों शातिर जालसाजों की गिरफ्तारी बीते सोमवार को एसटीएफ ने किया है. एसटीएफ ने इन्हें रंगे हाथों रंगदारी करते हुए गिरफ्तार किया है.

ये भी पढें : Maharajganj Mahotsav: देश के प्रख्यात कवि कुमार विश्वास का महराजगंज से पुराना याराना, इस 5 साल के बच्चे के फैन हैं कुमार विश्वास

हमारी टीम के लम्बी रिसर्च के बाद एवं विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से अब आगे जानिए कौन है ये राजकुमार यादव-

राजकुमार यादव, सुनील यादव, राजू यादव और विश्वनाथ यादव यह सभी नाम इसी बहरूपिए के हैं इनमें से कौन सा नाम इसका असली नाम है यह तय कर पाना मुश्किल है. राजकुमार यादव ने सपा सरकार में अपनी मजबूत पैठ के दम पर शिक्षा माफिया बन गया, बलरामपुर से लेकर गोरखपुर, देवरिया, सलेमपुर, महराजगंज आदि जिलों में इसके बनाएं अध्यापक नौकरी करने लगे थे. फर्जी मास्टर बनाने की पूरी कला इसमें कूट कूट कर भरा था, कोई आए मास्टर बन जाए. राजकुमार यादव स्वंय भी दो नाम से दो जगहों पर नौकरी करता था.

सूत्रों के हवाले से कई चौकानें वाले मामले-

राजकुमार यादव की कमाई का अंदाजा लगा पाना शायद मुश्किल है उसने एक-एक अध्यापक बनाने के करीब 20 लाख रुपए ऐंठता था. लग्ज़री गाड़ियों का शौकीन राजू अपनी ज्यादातर गाड़िया 2020 नम्बर की रखता था. कई शहरों में फ्लैट जमीनें मकान बनाने में इसे समय नहीं लगा.

ये भी पढें : Ground Report: यहां प्रतिदीन मौत को चकमा देकर सफ़र कर रहे राहगीर! आइए हिचकोले खाइये

राजकुमार यादव के हाथों जब रुपए लगना शुरू हुआ तो इसने बीवी होते हुए एक गर्लफ्रैंड बना लिया जिससे बाद में उसने शादी कर ली थी. सरकार और विभागों में अच्छी पैठ के दम पर ही इसने दोनों को अध्यापक बनाया था. लेकिन बाद में वह नौकरी छोड़ दी थी.

राजकुमार यादव के शिकार हुए जनपद में अभी भी कई लोग हैं जिन्होंने उसके झाँसे में आकर उसे लाखों रुपए दिए थे. नौकरी दिलाने के नाम पर धनउगाही करके वह अपना नम्बर बंद कर जिले से गायब हो जाता था. छानबीन की जाए तो अभी महराजगंज समेत कई जनपद में इसके बनाए शिक्षक मिलेंगे.

उसके उठने बैठने के ज्यादातर अड्डे कोचिंग सेंटर हुआ करते थे वहीं से वह फ़र्ज़ कागज़ातों को तैयार करता था और फर्जी अध्यापक बनाने की पूरी प्रक्रिया शुरू करता था.

राजकुमार यादव की एक और मजेदार किस्सा बताते हैं-
राजकुमार यादव का बाप पारस नाथ यादव भी एक अध्यापक था, नौकरी के दिन पूरे होने के बाद रिटायर हो गया. रिटायर के बाद बेटे ने उसे एक बार फिर सरकारी मास्टर बना दिया था.

You missed

error: Content is protected !!