महराजगंज: जिले के पुलिस लाइन सभागार में पशु व पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में पशु पक्षियों सहित सभी जीव-जंतुओं के संरक्षण और संवर्धन को लेकर कार्यशाला का आयोजन हुआ।
पशु क्रूरता के विरुद्ध आवाज उठाने, नियंत्रित करने वाले उपायों पर चर्चा की गई।
एनिमल वेलफेयर एसोसीएट्स सुरभि त्रिपाठी ने बैठक में कहा कि पशुओं के साथ अनेक तरह से क्रूरता पूर्वक व्यवहार किया जाता है, जो बेहद गलत है।
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अक्सर देखा जाता है कि मुर्गियों को पंख फैलाने तक की जगह नहीं दी जाती है। मुर्गियों को उल्टा करके लटका कर उनके साथ क्रूरता किया जाता है।
पशुओं और जानवरों के साथ इस तरह का भेदभाव किया जाना बेहद गलत है। हम सभी को लोगो को जागरूक किया जाना चाहिए।
साथ ही इस तरह के कृत्य को रोकने के लिए सभी को पूरी क्षमता के साथ आगे आना होगा।
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इसके साथ ही उन्होंने बताया कि “भारत में पशुओं के खिलाफ क्रूरता को रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया था। साथ ही इस ऐक्ट की धारा-4 के तहत साल 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया।”
इस अधिनियम का उद्देश्य पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति को रोकना है।
इस प्रकार के मामले को लेकर कई तरह के प्रावधान इस ऐक्ट में शामिल हैं। जैसे, अगर कोई पशु मालिक अपने पालतू जानवर को आवारा छोड़ देता है, या उसका इलाज नहीं कराता, भूखा-प्यासा रखता है, तब ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता का अपराधी होगा।
इसके अलावा अगर कोई किसी पशु को मनोरंजन के लिए अपने पास रखता है और उसके साथ क्रूरता का व्यवहार करता है, तो वह भी अपराध है। ये सभी संज्ञेय और जमानती अपराध होते हैं, जिनकी सुनवाई कोई भी मैजिस्ट्रेट कर सकता है।
ऐसे अपराधों के लिए कम से कम 10 रुपये से लेकर 2 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। साथ ही अधिकतम तीन साल की सजा हो सकती है।
इसके साथ ही एनिमल वेलफेयर एसोसिएट्स सुरभि त्रिपाठी ने लोगों से निवेदन करते हुए अपील भी किया कि अपने आसपास हो रहे पशु क्रूरता को देख कर चुप न बैठे और न ही किसी को करने दें।
इस प्रकार की कोई भी घटना अगर आपके पास होता दिखाई दे रहा है, तो तुरंत पुलिस या प्रशासन को फोन कर उन्हें सूचना दें ताकि पशु क्रूरता कर रहे लोगो पर सख्त कार्रवाई की जा सके।