गहलोत के इस्तीफे के संकेत के बाद पायलट हुए सक्रिय, आलाकमान के निर्देश विधायकों से मेल मिलाप बढ़ाएं

राजस्थान: कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए अशोक गहलोत ने राजस्थान के सीएम पद को छोड़ने के संकेत दे दिए हैं. अब वह अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए 24 सितंबर को अपना नामांकन दाखिल करेंगे. इसी के साथ अब सीएम फेस को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है. सूत्रों के मुताबिक 27 सितंबर को राजस्थान से कांग्रेस विधायक दिल्ली जा सकते हैं, जहां वे मुख्यमंत्री पद को लेकर आलाकमान के सामने अपनी राय रखेंगे.

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वैसे पिछले कुछ महीनों से राजस्थान में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को सीएम बनाने की मांग ने जोर पकड़ रखा है. हालांकि बुधवार को सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान अशोक गहलोत ने सीएम पद के लिए किसी और नेता के नाम का सुझाव दिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री के लिए विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की सिफारिश की है साथ ही गुजरात प्रभारी डॉ रघु शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा व मंत्री ममता भूपेश के नाम सुझाये हैं.

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गहलोत द्वारा सीएम पद छोड़ने के बाद क्या सचिन पायलट कुर्सी संभालेंगे? पत्रकारों के इस सवाल पर गहलोत ने कहा कि यह मैं कैसे कह सकता हूं कि कौन सीएम बनेगा. इस पर मैं कुछ भी नहीं कह सकता हूं। मुख्यमंत्री तो विधायक चुनते हैं. उनकी बातों से स्पष्ट है कि वे किसी भी सूरत में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनने देना चाहते. उन्हें और किसी नाम पर एतराज नहीं पर पायलट के नाम पर एतराज है.

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इधर गहलोत के अध्यक्ष का चुनाव लड़ने व सीएम पद से इस्तीफे की चर्चा के साथ-साथ मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसकी चर्चा जोरों से चल पड़ी है. सचिन पायलट भी दिल्ली से लौट आये हैं. वे एयरपोर्ट से सीधे विधानसभा पहुंचे जहां उन्होंने सीपी जोशी से मुलाकात की. सूत्रों का कहना है कि पायलट को विधायकों से मेलमिलाप बढ़ाने के निर्देश मिले हैं. गहलोत के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार सचिन पायलट को ही माना जा रहा है. वे इस पद को पाने के लिए दो साल पहले पार्टी से बगावत भी कर चुके हैं जिसके चलते उन्हें पीसीसी अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री पद भी खोना पड़ा था.

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हालांकि राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के समझाने के बाद वे पुनः पार्टी में लौट आये थे वे तब से उन्हें मुख्यमंत्री बनाये जाने का इंतजार कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017-18 में सचिन पायलट ने मृत अवस्था में पड़ी कांग्रेस को फिर से जीवित किया था. तथा उनके अथक प्रयास व मेहनत की वजह से ही कांग्रेस 2018 में सत्ता में आई लेकिन उस समय अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया गया.

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उस समय पायलट का हक छीना गया जिसके चलते उनके समर्थकों में भारी रोष व्याप्त हो गया. बगावत के दौरान राहुल व प्रियंका ने पायलट को उनका हक दिलाने की बात कह कर राजी किया था. अब समय आ गया है राहुल गांधी व प्रियंका गांधी अपने वादे को निभाएं और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाये. वैसे भी पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग तेजी से उठ रही है. पिछले दिनों पायलट समर्थक विधायक वेदप्रकाश सोलंकी और इंद्राज गुर्जर ने उन्हें सीएम बनाने की खुलकर पैरवी की.

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इससे पहले बसेडर से कांग्रेस विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने सचिन पायलट को सीएम बनाने की मांग करते हुए कहा था कि सीएम अशोक गहलोत को यह समझना चाहिए कि उन्हें पार्टी ने बहुत कुछ दिया है अब युवाओं को मौका दिया जाए. वहीं सचिन पायलट के नाम पर बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए गहलोत के खास माने जाने वाले मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा भी यह बयान दे चुके हैं कि पायलट को मुख्यमंत्री बनाते हैं तो उन्हें कोई एतराज नहीं. आलाकमान जो निर्णय लेगा वह सबको मान्य होगा. कुल मिलाकर पायलट के नाम पर गहलोत के अलावा किसी और को कोई एतराज नहीं. अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री पद के लिए पायलट की किस्मत जोर मारती है या फिर किसी और कि किस्मत में लिखा है यह पद.

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